अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को थोक में लायसेंस देने के आरोप निकले निराधार
सिर्फ 2 मुस्लिम समुदाय को गन सुरक्षा लायसेंस आवेदन की बात सामने आई
जिला प्रशासन से वैरिकिकेशन के लिए बददी एस.पी अफरोज के समय में आए 50 आम्र्स लायसेंस
आरटीआई में मंडी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा ली गई जानकारी में खुलासा
बददी, 12 नंबवर। सतीश जैन
बददी पुलिस अधीक्षक पर बीबीएन एरिया में थोक में गन लायसेंस बनाने को रिकमंड करने के मामला पूरा तरह निराधार निकला है। पुलिस अधीक्षक बददी इल्मा अफॅरोज के 6 नंवबर को लंबी छुटटी पर चले जाने के बाद यह चर्चाएं उठने लगी थी कि उन्होने अपने कार्यकाल के दौरान बीबीएन एरिया में बहुत से आत्म सुरक्षा बनाने वाले लायसेंस बनाने को लेकर फाईलें एडीएम सोलन को भेजी जिसमें दर्जनों लायसेंस उनके अपने समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मुस्लिम समुदाय से है। सोशल मीडिया में ऐसी रिपोर्टस आने के बाद जिला मंडी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद कुमार ने बददी पुलिस से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी जिसमें एस.पी बददी पर थोक में विशेष समुदाय को गन लायसेंस वैरिफिकेशन करके रिकमंड करने के आरोप महज अफवाहें ही निकले। एस.पी बददी इल्मा अफरोज के नौ माह 9 दिन कार्यकाल में मात्र 50 गन लायसेंस आत्म सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन सोलन से मांगी गई वैरिफिकेशन के बाद भेजे गए जिसमें से मात्र दो लायसेंस ही अल्पसंख्यक समुदाय के थे। इसमें यह बात भी वर्णनीय है कि बददी पुलिस या किसी भी जिला पुलिस को आत्म रक्षा बंदूक लायसेंस बनाने का अधिकार नहीं है। इसमें संबधित जिला प्रशासन के एडीएम को ही इसको जारी करने का अधिकार है और वही अधिकृत लायसेंसिग आथोरिटी माना जाता है। संबधित जिला पुलिस तो एसडीएम के माध्यम से आए गन लायसेंस के आवेदन पर सिर्फ अपने चरित्र प्रमाण पत्र की टिप्पणी को सत्यापन करके पुन: वापिस ए.डी.एम को भेजती है। वहीं सूत्रों ने बताया कि अल्पसंख्यक लायसेंस के मामलों में एक लायसेंस पिता का पुत्र के नाम पर ट्रांसफर है तो दूसरा लायसेंस अभी विचाराधीन है। गत दिनों सोशल मीडिया में यह खबर आई थी कि बीबीएन में 150 मुस्लिम लोगों के गन लायसेंस बना दिए गए हैं।
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हमारा काम आवेदन की पुलिस वैरिफिकेशन करना-इल्मा
इस विषय में बददी की एस.पी कुमारी इल्मा अफरोज ने बताया जो कि फिलवक्त लंबी छुटटी पर गई है ने कहा कि हमारे पास गन लायसेंस बनाने की आथोरिटी नहीं होती और यह काम जिला प्रशासन का होता है। हमारे पास एडीएम के माध्यम से जो गन लायसेंस बनाने के लिए संबधित आवेदन आते हैं उसमें हम उम्मीदवार के चरित्र का सत्यापन करके जिलाधीश कार्यालय को भेजे देते हैं। गन लायसेंस देने या न देने में हमारी कोई भूमिका नहीं होती और यह एडीएम के विवेक पर होता है।
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आरटीआई कार्यकर्ता ने साफ किया दूध का दूध पानी का पानी-
लंबे समय से बीबीएन में यह चर्चाएं चल रही कि क्षेत्र में भारी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को गन लॉयसेंस बांट दिए गए। इसमें बिना कारण से एसपी बददी को लपेटा गया था क्योंकि वो अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय से आती है। उनके विरोधियों ने सरकार के पास भी झूठी शिकायतें भ्रमित करने व सोशल मीडिया रिपोर्टस में प्रकाशित करवाई थी बीबीएन को चंबल बनाने की साजिश रची जा रही है। वहीं मंडी के आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद कुमार की आरटीआई ने इस मामले में दूध का दूध पानी का पानी कर दिया कि बददी एसपी के कार्यकाल में सिर्फ 50 गन लायसेंस वैरिफिकेशन के लिए आए थे जिसमें से मात्र 2 विशेष समुदाय के थे। अरविंद ने कहा कि अफवाहें फैलाकर भ्रमित करने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए।,
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क्या कहना है सरकारी प्रवक्ता का-
कुछ समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया चैनलों पर पुलिस जिला बददी में गत 9 माह की अवधि में अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बन्धित व्यक्तियों को शस्त्र लाईसेंस दिए जाने के सम्बन्ध में जो समाचार प्रकाशित हुआ है वह तथ्यों से परे, भ्रामक एवं आधारहीन है।एक सरकारी प्रवक्ता ने इस सम्बन्ध में अवगत करवाया कि उक्त समाचार तथ्यों पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा कि तथ्यपरक जानकारी के अनुसार जिला पुलिस बद्दी द्वारा अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी सोलन को वर्ष 2024 में शस्त्र लाइसेंस के 10 ऐसे मामले प्रस्तुत किए गए जोकि वर्ष 2023 के थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में जिला पुलिस बद्दी द्वारा शस्त्र लाईसेंस के 40 मामले अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी सोलन को प्रेषित किए गए। इन 50 मामलों में जिला पुलिस बद्दी द्वारा शस्त्र लाईसेंस के लिए केवल 02 मामले संस्तुत किए गए। उन्होंने कहा कि कुल मामलों में अल्पसंख्यक समुदाय के 02 व्यक्तियों का मामला शस्त्र लाईसेंस के लिए अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी सोलन को प्रेषित किया गया। अल्पसंख्यक समुदाय के शस्त्र लाईसेंस के लिए जिला पुलिस बद्दी में प्राप्त 02 मामलों में से एक पारिवारिक हस्तांतरण तथा एक मामला आत्मरक्षा के लिए प्रस्तुत किया गया। सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि शस्त्र लाईसेंस प्रदान करने अथवा न करने का निर्णय अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी सोलन के कार्यालय द्वारा लिया जाता है। इस सम्बन्ध में सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के उपरांत ही संस्तुति प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि शस्त्र लाईसेंस प्रदान करने के लिए विधि सम्मत नियमावली का पूर्ण पालन सुनिश्चित बनाया जाता है। सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सभी समुदाय के लोग पूर्ण सौहार्द के साथ रहते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी समाचार को प्रकाशित करने से पूर्व तथ्यों की जांच आवश्यक है ताकि आमजन तक सही जानकारी पहुंचे और तथ्यहीन जानकारी के कारण किसी को परेशानी न हो।
कैपशन-बददी एस.पी इल्मा अफरोज।