- रविवार सुबह इस्तीफा दिया सोमवार शाम को वापिस लिया नगर परिषद बददी की हॉट सीट को नाटकीय घटनाक्रम में फंसा पेंच अध्यक्ष तरसेम चौधरी रविवार को सौंपा था उपाध्यक्ष को इस्तीफा सोमवार को डी.सी सोलन के पास वापिस जाकर लिया वापिस बददी, 15 अक्टूबर। सतीश जैन एशिया की सबसे बडे औद्योगिक नगरी बददी की प्रधानगी को लेकर उठा पटक का खेल शुरु हो गया है। तीन दिन में अचानक बदले घटनाक्रम में नगर परिषद बददी की सियासत हिल गई है। कभी इस्तीफा देना फिर स्वयं को भूला हुआ मानकर उसको वापिस लेने सहित कई घटनाक्रम दो दिनों में हो गए। रविवार को नगर परिषद अध्यक्ष बददी तरसेम चौधरी ने अपने पद छोडने का निर्णय लिया और अपना इस्तीफा उपप्रधान मोहन लाल को सौंप दिया। इस्तीफा देने में उन्होने पारिवारिक व सामाजिक कारणों का हवाला दिया था लेकिन यह मानकर चला जा रहा है कि उन्होने वार्ड 9 के पार्षद सुरजीत सिंह के साथ किए हुए वायदे के तहत यह पद छोडा है ताकि सुरजीत सिंह बाकी बचे हुए एक साल के लिए प्रधान बन सके। जैसे ही रविवार को उन्होने अपना इस्तीफा दिया तो उसको तुरंत उपप्रधान मोहन लाल ने डीसी सोलन को भेज दिया । इसके बाद डी.सी. सोलन ने तरसेम चौधरी का इस्तीफा स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को स्वीकृति के लिए प्रेषित कर दिया। इस बात की चर्चा पूरे नगर परिषद बददी में फैल गई और चर्चाएं होने लगी कि अब नगर परिषद को नया सरदार मिलेगा लेकिन फिर अचानक उनका मन बदल गया कि उनसे गलत काम हो गया है तो उनकी अंतरात्मा जाग गई। सोमवार को तरसेम चौधरी डीसी सोलन के द्वार पहुंचे और कहा कि मैं अब इस्तीफा वापिस ले रहा हूं क्योंकि मैने इस विषय में अपने पार्षदों से विचार विमर्श करना है।
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इस्तीफा दिया था लेकिन वापिस लेने आए अध्यक्ष-डीसी
इस विषय में डीसी सोलन मनमोहन शर्मा ने कहा कि नगर परिषद बददी के अध्यक्ष तरसेम चौधरी ने उपप्रधान के माध्यम से मुझे इस्तीफा भेजा था जिसको हमने स्वीकृति के लिए शहरी विकास विभाग के निदेशक को भेज दिया था। उन्होने कहा कि सोमवार को मेरे कार्यालय आकर नगर परिषद अध्यक्ष ने अपना इस्तीफा वापिस लेने को कहा है। उन्होने कहा कि किन्ही कारणों से अब मैं पद छोडना नहीं चाहता और मैने पार्षदों से विचार विमर्श करना है।
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कब बने थे अध्यक्ष-
11 अगस्त 2023 को निर्दलीय पार्षद जस्सी चौधरी द्वारा अध्यक्ष पद छोडने के बाद तरसेम चौधरी अध्यक्ष पद पर विराज मान हुए थे। उस समय सीपीएस रामकुमार के चचेरे भाई सुरजीत चौधरी भी अध्यक्ष पद की दौड में थे लेकिन गुर्जर नेता तरसेम चूंकि भाजपा छोडकर गए थे इसलिए कांग्रेस को उनको अधिमान देना पड़ा। सूत्रों ने बताया कि उस समय गुप्त समझौता हुआ था तरसेम व सुरजीत एक एक साल के लिए प्रधान बनेंगे और उसी रणनीति के तहत तरसेम पर पार्टी का दबाब था लेकिन अब उन्होने इस्तीफा देकर वापिस लेकर पूरे दून की राजनीति में उबाल ला दिया है।
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क्या है स्थिति-
वर्तमान में नगर परिषद बददी में कांग्रेस व भाजपा के पास 4-4 पार्षद है और एक पार्षद आजाद है। अगर तरसेम का इस्तीफा वापिस हो जाता है तो वो बाकी बचे एक साल आराम से अपना समय काट सकते हैं। अगर स्वीकार हो गया तो सरकार को शक्ति परीक्षण नहीं करवाना पड़ेगा और सीधा अध्यक्ष पद का चुनाव होगा जिसमें तरसेम की वोट जरुरी है। अगर तरसेम भाजपा की ओर जाते भी हैं तो कांग्रेस के पास चार वोटों के अलावा विधायक की एक वोट है और एक निर्दलीय का वोट अहम बन जाएगा। फिलहाल यह पूरा सियासी मसला कच्चे धागों की तरह उलझ गया है।