हिमाचल सरकार के एजीटी की धक्केशाही पर भी लगाम लगाए केंद्र-अग्रवाल
जीएसटी के सरलीकरण करने व बजट में राहत देने की बात रखी
अधिक बयाज दर भारतीय निर्यातकों की वैश्विक पर्तिस्पर्धाको कमजोर करती है-गुलेरिया
जीएसटी रिफंड तंत्र को आसान बनाए केंद्र सरकार
बीबीएनआईए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से मिली
बददी, 15 जुलाई। सतीश जैन
बददी बरोटीवाला नालागढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बी.बी.एन.आई.ए) उद्योग से संबंधित मुद्दों को लेकर देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिली। केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण चंडीगढ़ के एक दिवसीय दौरे पर थी और बीबीएन उद्योग संघ के पदाधिकारियों ने उसने मुलाकात की और हिमाचल के उद्योग जगत से जुडे विभिन्न मुददे उनके समक्ष रखे। बीबीएनआईए के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, महासचिव वाई.एस.गुलेरिया व दिनेश जैन ने बताया कि मंत्री के समक्ष उन्होने जी.एस.टी का सरलीकरण करने, बैंक ब्याज में कमी करने व आगामी बजट में उद्योग जगत को राहत देने की बात उठाई। सर्वप्रथम मंहगे मालभाडों पर चिंता जताई गई और कहा कि इससे हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता और विकास को बढ़ाना आसान होगा। सडक़ के बुनियादी ढांचे और राष्ट्रीय राजमार्गों की कनेक्टिविटी को बढ़ाने की तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि पिंजौर-बददी नालागढ़ फोरलेन की निर्माण गति बहुत धीमी है। इसे अलावा बददी-चंडीगढ़ रेल मार्ग जो कि दस साल से बन रहा है वह आज भी अधूरा है जिससे कनेक्टिविटि मंहगी होगी वहीं माल भाडा लागत में भी कमी आएगी।
पदाधिकारियों ने औद्योगिक विकास योजना (आईडीएस) 2017 केतहत 31 दिसंबर, 2022 तक पंजीकरण कराने वाले आवेदकों के लिए क्रेडिट तक पहुंच के लिए प्रोत्साहन की मंजूरी में तेजी लाने का आग्रह किया। कई उद्योग जो अनंतिम रूप से पंजीकृत थे, उन्हें प्रोत्साहन से वंचित कर दिया गया है क्योंकि डीपीआईआईटी पोर्टल उद्योगों को बिना किसी सूचना के अचानक बंद कर दिया गया था।इस इनकार न कई वास्तविक उद्योगों के सब्सिडी दावों को खतरे में डाल दिया है, जिन्होने सरकार के आश्वासन पर विस्तार/ नए उद्योगों की स्थापना पर पूंजीगत व्यय किया था।
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न्यायसंगत औद्योगिक योजनाएं-
जम्मू और कश्मीर के लिए नई केंद्रीय क्षेत्र योजना (एनसीएसएस) ने कई उद्योगों को हिमाचल प्रदेश से जम्मू में स्थानांतरित होने या स्थानांतरित करने पर विचार करने के लिए आकर्षित किया है। उद्योगों को बनाए रखने और आकर्षित करने के लिए, हम हिमाचल प्रदेश के लिए एक समकक्ष नहीं तो उचित औद्योगिक योजना का प्रस्ताव करते हैं, जो औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए समान प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान करती है।
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एजीटी और सीजीसीआर करों को जीएसटी में शामिल करना-
अतिरिक्त कर 2017 में जीएसटी अधिनियम के लागू होने के बावजूद, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा एजीटी और सीजीसीआर जैसे करों को जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है, जिससे हिमाचल प्रदेश में संचालित उद्योगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इस तरह के कर केवल हिमाचल प्रदेश में ही लगाए जा रहे हैं, देश में कहीं और नहीं। हम दृढ़ता से अनुशंसा करते हैं कि इन करों को जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिए, जिससे एक राष्ट्र एक कर का उद्देश्य पूरा हो सके, जो जीएसटी अधिनियम का रेखांकित और मुख्य उद्देश्य है।
अध्यक्ष राजीव अग्रवाल व महामंत्री वाई एस गुलेरिया ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115 बी.ए.बी के तहत लाभ, जो नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों को 15 प्रतिशत की रियायती कर दर का आग्रह किया जो कि 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले हैं। नए निवेश को आकर्षित करने और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इन लाभों को अगले 3 वर्षों तक बढ़ाने का अनुरोध भी बीबीएनआईए ने किया।
व्यापार करने में आसानी और जीएसटी सुधार:
जीएसटी कार्यान्वयन के सात वर्षों के बावजूद, जीएसटीएन पोर्टल में सुधार और रिटर्न फाइलिंग तंत्र (जैसे जीएसटीआर -2 और जीएसटीआर -3) को सक्षम करने की पर्याप्त सुधार की गुंजाइश है। प्रमोशनल आइटम के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट वर्तमान में, फ्रेंचाइजी और वितरकों को मुफ्त आधार पर दिए गए प्रमोशनल और मार्केटिंग आइटम पर आईटीसी देने से इनकार कर दिया गया है। उन्हें जीएसटी कानूनों के तहत उपहार माना जाता है। हम ब्रोशर और कैटलॉग जैसी वस्तुओं के लिए एक अपवाद का प्रस्ताव करते हैं, जो खुले बाजार में बिना किसी बिक्री योग्य मूल्य के आवश्यक खरीद फरोख्त टूल है, और इसके बिना व्यवसाय को आगे बढ़ाना कई उपभोक्ता-उन्मुख उद्योगों के लिए संभव नहीं है और अनुरोध करते हैं कि ऐसे खर्चों के लिए आईटीसी प्रदान की जाए।
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जीएसटी रिफंड तंत्र को आसान बनाना-
बीबीएन उद्योग संघ ने कहा कि वर्तमान जीएसटी रिफंड प्रक्रिया जटिल है और विशेष रूप से निर्यातकों के लिए कार्यशील पूंजी की ब्लोकेड एवं महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा करती है। उन्होने सरकार से रिफंड तंत्र को सरल बनाने और जटिल नियम 89(4बी) से उत्पन्न होने वाले मुद्दों का समाधान करने का आग्रह किया। ई-इनवॉइस के साथ ई-वे बिल का एकीकरण ई-इनवॉइस प्रणाली के साथ ई-वे बिल प्रणाली को एकीकृत करने से दस्तावेज़ी करण प्रक्रियाएं सुव्यवस्थित होंगी।
ब्याज सबवेंशन योजना का पुनरुद्धार—
औद्योगिक एसोसिएशन ने एमएसएमई और बड़े उद्योगों दोनों के लिए प्री और पोस्ट-शिपमेंट रुपया निर्यात क्रेडिट के लिए ब्याज सबवेंशन योजना के पुनरुद्धार और विस्तार का अनुरोध भी वित्त मंत्री से किया। बढ़ती ब्याज दरों को देखते हुए, विशिष्ट टैरिफ लाइनों के लिए तीन प्रतिशत सबवेंशन दर और एमएसएमई निर्यातकों के लिए पांच प्रतिशत की दर बहाल करने की मांग उठी जिससे निर्यातकों पर वित्तीय बोझ कम होगा और वैश्विक बाजारों में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
कपड़ा आयात- घरेलू बुनाई और बुनाई उद्योगों की रक्षा के लिए, हम एचएसएन कोड 6001-6006 के तहत आयातित ग्रे और बुने हुए कपड़ों पर शुल्क दर लगाने का प्रस्ताव करते हैं, न्यूनतम आयात मूल्य 3.50 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम या 10 -20 प्रतिशत अधिक, जो भी ज्यादाहो। यह उपाय घरेलू उद्योग के हितों को नुकसान पहुंचाने वाली अप्रतिस्पर्धी कीमतों पर कम कीमत वाले कपड़े की आमद और डंपिंग को रोकेगा।
हिमाचल प्रदेश के उद्योगों को समर्थन देने के लिए आकर्षक आधार-
निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान- हिमाचल प्रदेश के उद्योग भारत के निर्यात राजस्व में प्रमुख योगदानकर्ता हैं। बड़े उद्योगों को आर्थिक, कराधान और ढांचागत समर्थन देने से उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी, जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
रोजगार सृजन और आर्थिक विकास- हिमाचल प्रदेश में उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से, राज्य सरकार से अधिक महत्वपूर्ण कार्यबल को रोजगार देते हैं। सार्थक समर्थन प्रदान करके, हमारे उद्योग समग्र आर्थिक विकास और स्थिरता में योगदान करते हुए, रोजगार को बनाए रख सकते हैं और संभावित रूप से बढ़ा सकते हैं। यह मेक इन इंडिया के हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप है। अधिक बयाज दर भारतीय निर्यातकों की वैश्विक पर्तिस्पर्धाको कमजोर करतीहै ।
स्थिरता और दीर्घकालिक विकास- एक मजबूत निर्यात क्षेत्र को बनाए रखने के लिए हिमाचल प्रदेश में स्थित उद्योगों की स्थिरता और दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करना आवश्यक है। आईईएस का विस्तार करने से बहुत आवश्यक वित्तीय राहत मिलेगी, जिससे ये उद्योग दीर्घकालिक विकास रणनीतियों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में सक्षम होंगे।