त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस-भाजपा और निर्दलीया का भाग्य ईवीएम में बंद
बारिश व उमस के बीच कम नहीं हुआ लोगों का उत्साह
नालागढ़ उपचुनाव में तीनो प्रत्याशियों ने झोंकी पूरी ताकत
एक एक मतदाता को संपर्क करने की कोशिश के बीच बंपर मतदान
बददी, 10 जुलाई। सतीश जैन
लगातार होती बारिश और उसके बाद उमस भरे माहौल तथा तपती गर्मी के बावजूद भी नालागढ़ उपचुनाव में मतदाताओं का उत्साह कम नहीं हुआ। सुबह होते ही सात बजे मतदान के लिए लोग घर से निकले ही थे कि ताबडतोड बारिश लग गई। एक बार तो लोगों को बूथों तक पहुंचना ही मुश्किल हो गया और प्रत्याशियों के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गई। सुबह 6 बजे शुरु हुई बारिश आठ बजे हट गई तो नेताओं ने राहत की सांस ली क्योंकि वर्षा में मतदान करना मुश्किल होता है। उसके बाद तेजी गर्मी व उमस ने रफतार पकडी लेकिन मतदाताओं में उत्साह कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ता ही गया। तीनों प्रत्याशियों के एल ठाकुर भाजपा, हरदीप बावा कांग्रेस व आजाद प्रत्याशी हरप्रीत सिंह सैणी के समर्थकों ने अपना अपना उत्साह जारी रखा और एक एक मतदाता को बूथ तक आने को प्रेरित किया। एक एक मतदाता पर पोलिंंग एजेंटो की पैनी नजर थी। तीनों के द्वारा पूरी मेहनत करने के बाद ही मतदान प्रतिशत लगभग 80 फीसदी तक पहुंचा जो कि एक रिकार्ड है जबकि पिछली बार 81 फीसदी मतदान 2022 में हुआ था। यहां का उपचुनाव एक साधारण चुनाव नहीं था और यहां पर मुकाबल के एल ठाकुर बनाम सुक्खू सरकार बनकर रह गया था। बेशक बावा कांग्रेस के चेहरा था लेकिन प्रदेश की सुक्खू सरकार ने अपने अधिकांश मंत्री, चेयरमैन व पदाधिकारी यहां उतार दिए थे ताकि केएल ठाकुर विधानसभा में पहुंचने से रोका जा सके। प्रशासन ने भी के एल ठाकुर को घेरने में कोई कसर नहीं छोडी थी और उनके घर के बाहर ही दो पुलिस के नाके स्थापित कर रखे और मकसद साफ था कि यहां पर लडाई बावा की नहीं बल्कि सरकार की है। वहीं के एल ठाकुर भी नालागढ़ मंडल के संगठन के साथ साथ चल रहे थे और उनके पक्ष में भी दो सप्ताह से भाजपा के आला नेताओं ने डेरा डाल रखा था। संगठनात्क रणनीति के तहत हर बूथ पर तीन प्रवासी कार्यकर्ता थे और हर ग्राम केंद्र पर भी तीन-तीन प्रभारी थे।
निर्दलीय ने बना दिया रोचक-
पहले यह मानकर चला जा रहा था उपचुनाव में आमने सामने मुकाबला होगा लेकिन अचानक भाजपा युवा नेता हरप्रीत सिंह सैणी ने बगावत का झंडा बुलंद कर निर्दलीय खडा होने का निर्णय ले लिया और वहीं से गेम बदल गई। पहली बार दो सिक्ख नेता चुनाव में होने से कांग्रेस के गणित गडबडा गए वहीं बागी का भाजपा खेमे से होने से के एल ठाकुर की चिंताए भी बढ गई। अब हरप्रीत सिंह सैणी किसके वोट काटेंगे यह तो 13 को ही पता चलेगा। हरप्रीत सिंह ने दोनो पुराने नेताओं को जिस प्रकार विकास के मुददे पर लपेटा वहीं अपनी स्वास्थ्य की प्राथमिकताओं को दशार्या और क्षेत्र में पांच दर्जन से ज्यादा बोरवेल करवाकर बताया कि वो सच्ची सेवा करने ही राजनीति में आए है।