नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश में रोजगार और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए तमाम प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में साल 2020 में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना बहुत बड़ी गेम चेंजर साबित हुई है. शीर्ष वैश्विक ब्रांडों एप्पल और सैमसंग के भारत निर्मित स्मार्टफोन के नेतृत्व में देश पहली बार इलेक्ट्रॉनिक सामानों के एक मजबूत निर्यातक के रूप में उभरा है. इस साल अप्रैल-अक्टूबर में भारत के इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्यात में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह 15.5 अरब डॉलर हो गया है, जबकि साल 2022-23 में यह 23.6 अरब डॉलर रहा था.
औद्योगिक मोर्चा पर भारत को कई सफलता मिली है. जैसे कि अमेरिकी चिप कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजीज द्वारा अहमदाबाद के पास सेमीकंडक्टर्स के प्रोडक्शन के लिए फैक्ट्री लगाने की योजना पर काम चल रहा है. वहीं ताइवान की दिग्गज कंपनी फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन ने अपने आपूर्तिकर्ताओं को भारत में स्थानांतरित कर दिया है. डीपीआईआईटी सचिव राजेश कुमार सिंह के मुताबिक पीएलआई योजनाओं के बदौलत पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 12.09 अरब डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 21.34 अरब अमेरिकी डॉलर में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई में 76 फीसदी की मजबूत बढ़ोतरी हुई है.
पीएलआई योजना के तहत मार्च 2023 तक 62,500 करोड़ रुपये का वास्तविक निवेश प्राप्त हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप 6.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन और बिक्री हुई है और लगभग 3 लाख 25 हजार रोजगार पैदा हुए हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 तक निर्यात में 2.56 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2022-23 में 8 सेक्टर्स के लिए पीएलआई योजनाओं के तहत लगभग 2,900 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि बांटी गई.
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FIRST PUBLISHED : December 19, 2023, 08:27 IST