संसद की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में राज्यसभा के 45 और लोकसभा के 33 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 34 विपक्षी सदस्यों को पूरे शीतकालीन सत्र और 11 सांसदों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया है. इसी तरह, लोकसभा में 30 विपक्षी सांसदों को शीतकालीन सत्र के शेष भाग के लिए निलंबित किया गया है.
सांसदों के निलंबन पर विपक्षी पार्टियां हमलावर हैं. कांग्रेस ने इसे विपक्ष को चुप कराने की कोशिश करार दिया है. इससे पहले पिछले सप्ताह भी 14 सांसदों को निलंबित किया गया था. लोकसभा के 13 और राज्यसभा से एक सांसद निलंबित हुए थे. ये सांसद, पार्लियामेंट में घुसपैठ के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे थे और गृह मंत्री अमित शाह से बयान की मांग कर रहे थे.
ताजा निलंबन के साथ ही दोनों सदनों से कुल निलंबित सांसदों की संख्या 92 तक पहुंच गई है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब इतनी बड़ी संख्या में सांसद निलंबित हुए हैं. राजीव गांधी सरकार के कार्यकाल का किस्सा खासा चर्चित है.
क्या है 1989 का वो किस्सा?
साल 1989 में संसद के बजट सत्र के दौरान एक ही दिन में विपक्ष के 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. उस समय केंद्र में राजीव गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार थी. विपक्षी सांसद, सरकार से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए गठित जस्टिस एमपी ठक्कर आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे. ऐसा कहा जा रहा था कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कथित तौर पर इंदिरा गांधी के सलाहकार आरके धवन पर उंगली उठाई थी.
63 सांसदों का निलंबन और वापसी
आरके धवन को राजीव गांधी की सरकार में भी अहम जिम्मा मिल गया था, इसलिए विपक्षी दल जोरदार प्रदर्शन कर रहे थे. बाद में एक ही दिन में 63 सांसदों को निलंबन की चिट्ठी थमा दी गई. इसमें टीडीपी, जनता पार्टी और सीपीएम जैसी पार्टियों के नेता थे. दस्तावेजों के मुताबिक संसदीय कार्य मंत्री एचकेएल भगत ने निलंबन का प्रस्ताव पेश किया था और लोकसभा अध्यक्ष ने इसकी मंजूरी दे दी थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इन सांसदों का निलंबन एक दिन बाद ही वापस ले लिया गया था, क्योंकि इन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से माफी मांग ली थी.
.
Tags: Loksabha, Parliament, Rajiv Gandhi, Rajyasabha
FIRST PUBLISHED : December 19, 2023, 07:41 IST